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४.मेरी स्मृति

 सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए : 

(१) पहचान कर लिखिए:


१. चहचहाने वाली

उत्तर - चिड़िया

२. कूकने वाली

उत्तर - कोयल

३. महकने वाला

उत्तर - बौर, फुल 

४. शहनाई बजाने वाले

उत्तर - झींगुर


(२) हाइकु में निम्नलिखित अर्थ में आए शब्द:

१. पेड़

उत्तर - बिरिछ

२.शाम

उत्तर - साँझ


(३) निम्न पंक्तियों का भावार्थ लिखिए:


'गाँव मुझको

 मैं ढूँढ़ता गाँव को

खो गए दोनों।'


उत्तर -प्रस्तुत पद्यांश डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव रचित कविता 'मेरी स्मृति' से अवतरित की गई है। इस पंक्तियों के माध्यम से कवि यह बताते हैं कि शहरों में आए लोगों की जीवनशैली बदल गई है। गाँवों में पेड़ कट गए हैं, जंगल कट गए हैं, कच्चे घरों के स्थान पर पक्के घर बन गए हैं, सड़कें बन गई हैं, इसलिए अब गाँवों में भी काफी परिवर्तन आ गया है, इसलिए न गाँव शहरियों को पहचानते हैं और न ही शहरी गाँव को पहचानते हैं।


स्वाध्याय


सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए : 

(१) पहचान कर लिखिए:


१. प्रतीक्षा करने वाली - आम्र शाखाएँ

२. संदेश लाने वाला - पवन 

३. खो जाने वाले - गाँव, कवि

४. खोजने आने वाला - गाँव, कवि


(२) जोड़ियाँ मिलाइए :

४.मेरी स्मृति

४.मेरी स्मृति


(३)कविता (मेरी स्मृति) में 'कोयल' तथा 'साँझ' के संदर्भ में आया वर्णन लिखिए।

उत्तर -

कोयल : आम का मौसम आते ही अमराइयों में कोयल कूकने लगती है। कोयल के आते ही बगीचों में बाँसुरी की धुन सुनाई पड़ती है तथा बोर महकने लगते हैं। कोयल का मधुर स्वर सुनकर ऐसा लगता है कि अमराई में बाँसुरी बज रही है।


साँझ : कवि ने "साँझ" शब्द का प्रयोग 'शाम" के लिए किया हैं। शाम के समय आसमान तारे निकल आते हैं। वर्षा ऋतु में पानी बरसने लगता है। रात के आने की सूचना देते हुए झींगुर बोलने लगते हैं।


(४) इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए: 

'महुआ खड़ा नभ है घिरा ।'

उत्तर -

भावार्थ : उपर्युक्त पद्यांश डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव चित हाइकु कविता 'मेरी स्मृति' से अवतरित किया गया हैं कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से मौसम का भी वर्णन किया है। वसंत ऋतु के जाने के बाद ग्रीष्म का आगमन होता है महुआ के वृक्ष में कूँच और उन कूँचों में फूल लग जाते हैं ये महुआ के फूल सबेरा होते ही धरती पर टपकने लगते हैं । धरती पर टपके हुए इन फूलों को देखकर कवि कल्पना करता हैं कि मानों महुआ सफ़ेद चादर बिछा कर किसी की राह देख रहा हो ।


आसमान में छाए हुए बादलों को देखकर कवि कल्पना करता हैं मानो किसी का दुख (व्यथा) आसमान में बादल बनकर छा गया है।


(५) 'हरी-भरी वसुंधरा के प्रति मेरी जिम्मेदारी' पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर -

हरी-भरी वसुंधरा के प्रति मेरी जिम्मेदारी यही हैं कि वह हमेशा हरी-भरी बनी रहे। हम सभी को हरी भरी धरती को ऐसे ही स्वच्छ बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए। आज हम देखें तो आज के समय में मनुष्य ने अपने लालच की वजह से कई तरह के पेड़ पौधों की कटाई की है जिस वजह से हमारी यह हरी भरी धरती मैं पहले की अपेक्षा पेड़ पौधे दिन प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं हम सभी को चाहिए कि हम पेड़ पौधे लगाएं और हमारी इस प्यारी सी हरी भरी धरती हमारी जन्मभूमि को स्वच्छ बनाए रखें। हमें अपनी हरी-भरी भूमि का ऋणी रहना चाहिए और इस भूमि को हमेशा स्वच्छ रखने की कोशिश करनी चाहिए। हम वर्षा ऋतु में वृक्षारोपण कार्यक्रम हाथ में लेंगे ताकि, कटे हुए वृक्षों की कमी पूरी हो सके।


(६) निम्न मुद्दों के आधार पर पद्म विश्लेषण कीजिए:


१. रचनाकार का नाम : डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव


२. रचना का प्रकार : हाइकु


३. पसंदीदा पंक्ति:


फूल खिलता

महकता मुरझाता

स्वप्न बनता ।


४. पसंद होने का कारण : कवि डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव ने इस कविता के माध्यम से जीवन का यथार्थ व्यक्त किया है इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने स्पष्ट किया है फूल की तरह ही मनुष्य भी जन्म लेता है, अपना कर्म करता है तथा अंत में मृत्यु को प्राप्त होता है ।


५. रचना से प्राप्त संदेश / प्रेरणा : कवि ने इस कविता के माध्यम से मानव को संदेश दिया हैं की उसे भी प्रकृति के अन्य घटकों की तरह अपना कार्य करना चाहिए ।


उपयोजित लेखन


'रेल की आत्मकथा' विषय पर लगभग सौ शब्दों में निबंध लिखिए


उत्तर -रेल की आत्मकथा



मैं एक रेल हूँ। मैं बिजली से चलने वाली रेल हूं मेरा काम लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना है। जेम्स वाट ने जब भाप से चलने वाला इंजन बनाया, तब मेरा भी अस्तित्व संभव हुआ आज से कुछ समय पहले मैं कोयला एवं भाप से चलती थी लेकिन अब मैं बिजली से चलने लगी हूँ जिससे मेरी रफ्तार में भी अंतर देखने को मिला है। १८५३ में पहली बार मुंबई से थाने तथा थाने से मुंबई तक मैं दौड़ी। पुरे देश में सरकार ने पटरियों का जाल बिछा दिया है। पहले ज्यादा तर मीटर गेज का ही उपयोग होता था । बाद में ब्राड गेज की पट्रीयों का उपयोग होने लगा। भारत में मैं लगभग 130 किलोमीटर की रफ्तार से चलती हू वहीं विदेशों में बुलेट ट्रेन जो कि मेरी सखी है लगभग 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। भारत देश में लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए सुविधाजनक जल्द से जल्द कई रेलो का निर्माण हो रहा है। मुझ रेल में सवारियों को बैठने के लिए पैसा भी कम देना पड़ता है। जिससे मुझमें सवारी करने वाले लोग मेरी तारीफ करते हैं। लेकिन कभी-कभी मैं देखती हूं कि यदि मैं किसी कारण बस लेट हो जाऊं तो लोग मेरी बुराई करने लगते हैं जो मुझे अच्छा नहीं लगता। मेरी सवारियों को समझना चाहिए कि कभी-कभी गलती सबसे हो जाती है।


मुझ रेल में कई विद्यार्थी भी बैठते हैं जो शनिवार को अपने मां बाप से मिलने के लिए जा रहे होते हैं मुझमें कई आर्मी ऑफिसर भी बैठकर मेरी शान बढ़ाते हैं कई ऐसे महान लोग भी मेरे द्वारा सवारी करते हैं तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। मुझमें जनरल डिब्बे होते हैं जिसमें कोई भी सवारी बैठ सकती है बस उसे एक टिकट लेना पड़ता है लेकिन यदि आप अपनी यात्रा को बहुत ही अच्छी बनाना चाहते हैं तो आप रेल में अपनी सीट को आरक्षित भी कर सकते हैं। मैंने पुरे देश को एक दूसरे से जोड़ दिया है।


मुझमें सवारियों को कई तरह की सुविधाएँ दी जाती हैं। रेलवे स्टेशनों पर भोजन, पानी की उचित व्यवस्था होती है जिससे मुझमे यात्रा करने में सवारियों को किसी तरह की समस्या ना हो पाए। कभी-कभी मैं नाराज भी हो जाती हूँ क्योंकि कुछ लोग बिना टिकट लिए भी मुझमें सवार होकर यात्रा करने लगते हैं। जो भी हो लेकिन मैं अपने कर्तव्य से विमुख नहीं होती मैं अपनी प्रत्येक सवारी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाती जाती हूँ। मुझे यह सब करना अच्छा लगता है यह एक तरह की लोगों की सेवा ही है। मैं हमेशा यही चाहूंगी कि मुझमें सवार करने वाले प्रत्येक यात्री को मैं अच्छी से अच्छी सुविधा प्रदान कर सकूं बस यही मेरी कामना है।


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