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१. उड़ चल, हारिल

 १. उड़ चल, हारिल

* सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(१) संजाल पूर्ण कीजिए:

तिनके की विशेषताएँ :


तिनके की विशेषताएँ :

• ओछा होना

• रचना का साधन होना

• पावन होना

• विधवा के प्राणों का स्पंदन होना


(२) कृति पूर्ण कीजिए :

हारिल की शक्ति संबंधी कवि की अपेक्षाएँ :


हारिल की शक्ति संबंधी कवि की अपेक्षाएँ :


१. सभी दिशाओं में आगे बढ़ने की

२. पंख के प्रहार से आसमान में हलचल मचाने की


(३) उचित जोड़ियाँ ढूंढ़कर लिखिए:



(४) चार ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द :


प्राची:

उत्तर - प्राची में कौन जाग उठी है?


अमरता:

उत्तर -हारिल के हाथों का तिनका किसका साधन है ?


उपहास:

उत्तर -असफल व्यक्तियों को लज्जित करने के लिए लोग उनका क्या उड़ाते हैं?


हलचल:

उत्तर -हारिल पक्षी अपने पंखों की चोटों से आकाश में क्या मचा देगा?


(५) पदद्य में प्रयुक्त प्रेरणादायी पंक्तियाँ लिखिए।


उत्तर -ऊपर-ऊपर-ऊपर-ऊपर, बढ़ा चीर चल दिग्मंडल अनथक पंखों की चोटों से, नभ में एक मचा दे हलचल !


तिनका तेरे हाथों में है, अमर एक रचना का साधन तिनका तेरे पंजे में है, विधना के प्राणों का स्पंदन !


(६) कविता की अंतिम दो पंक्तियों का अर्थ लिखिए।

उत्तर - कवि कहते हैं कि पूर्व दिशा में उषा का आगमन हो चूका है। नये दिन का आगमन हो चुका है। नये दिन की चुनौतियाँ हमारे सामने है। हमें अकेले भी इन चुनौतियाँ का सामना करने के लिए हारिल की तरह हाथ में तिनका लेकर प्रगति पथ पर चल देना चाहिए।


(७) निम्न मुद्दों के आधार पर पदद्य विश्लेषण कीजिए:

१. रचनाकार का नाम

२. रचना का प्रकार

३. पसंदीदा पंक्ति

४. पसंद होने का कारण 

५. रचना से प्राप्त प्रेरणा



१. रचनाकार का नाम : श्री सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'


२. रचना का प्रकार: कविता


३. पसंदीदा पंक्ति: काँप न, यद्यपि दसों दिशा में, तुझे शून्य नभ घेर रहा है, रुक न यद्यपि उपहास जगत का, तुझको पथ से हेर रहा है !


४. पसंद होने का कारण : कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा |


५. रचना से प्राप्त प्रेरणा : विपत्ति से बिना घबराए उसका सामना करना तथा प्रगतिपथ पर आगे बढ़ते जाने का संदेश |



उपयोजित लेखन

'यदि में बादल होता....'विषय पर लगभग सौ शब्दों में निबंध लिखिए।



एक दिन ऐसेही आसमानमें बादल को देख रहा था, तभी मेरे मन में ख़याल आया की सचमें अगर में एक बादल होता तो! तो में खुली आसमान में पंछियों की तरह उडाता रहता, कभी इस आकारका, तो कभी उस आकारका बनकर बच्चो को हसता रहता। यदि में बादल होता तो, आकाशसे भ्रमण करके में, पूरी धरतीका नजारा बहुतही विलोभनीय होता है।


अक्सर बहुत सारे लोगों को बादलों का इंतजार होता है क्योंकि बादल पानी बरसाते हैं। यदि मैं बादल होता, तो में उन क्षेत्रों में पानी अवश्य बरसाता जहाँ अकाल पड़ा है, नदी, नाले, कुएँ और तालाब सब सुख गए है।यदि मैं बादल होता, तो में किसानों को खुश करता, क्योंकि यदि किसानों उतना पानी मिलता, तो वे अच्छी फसलें पैदा करते, वे भी धन-धान्य से संपन्न होते तथा देश को भी संपन्न करते। किसानों को सुखी जीवन जीते देखकर मै भी खुश होता। बादल तो पानी उपलब्ध करके सारे मनुष्य, जीव जंतु, पशु-पक्षी की प्यास मिटा देते है।


यदि में बादल होता तो किसीका भी नुकसान नहीं होने देता। वास्तव में बादल होना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात थी और मैं अपने जीवन में बहुत ही खुश होता ।

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