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फटी पुस्तक की आत्मकथा निबंध fati pustak ki atmakatha in Hindi

 

fati pustak ki atmakatha in hindi

हेलो दोस्तों, एक बार फ़िर आपका हमारी वेबसाइट में स्वागत है। पुस्तकों का उपयोग तो आप बचपन से करते आ रहे होंगे। और एक बार इस्तेमाल करने के पश्चात उसे इधर उधर फेंक देते होंगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है एक किताब को इधर उधर फेंक देने के बाद उसका क्या होता है।

अपने आप को एक बार फटी किताब की जगह लेकर यह विचार कर सकते हैं कि एक किताब क्या सोचती है।


चलिए आज हम बताते हैं आपको एक फटी पुस्तक की आत्मकथा। इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए हैं, फटी पुस्तक की आत्मकथा पर निबंध  । fhati pustak ki atmakatha in Hindi को पढ़कर आप एक फटी किताब की दुर्दशा को बडी आसानी से समझ सकते हैं।

फटी पुस्तक की आत्मकथा निबंध fati pustak ki atmakatha in Hindi


फटी पुस्तक की आत्मकथा निबंध। fati pustak ki atmakatha essay in hindi


मैं पुस्तक हूं! में अभी पुस्तकालय में रखीं हुईं हूं। मुझे  किताब भी कहते हैं। कुछ समय पहले तक तो मैं काफी सुंदर व स्वस्थ थी, लेकिन अत्यधिक समय होने के कारण अब में फटने लगी हु।मेरा कवर फट चुका है। और अंदर से कुछ पेज भी बाहर आने लगे हैं। भी 


मैं अपने अंदर महत्वपूर्ण / सम्पूर्ण  ज्ञान को समेटे हुए हैं। इसलिए इंसानों द्वारा मुझे अभी भी इस हालात में संभालकर रखा जा रहा है।


प्रतिदिन मेरे कुछ पेज बाहर निकल जाते हैं। और नीचे गिर जाते हैं। लेकिन झाड़ू लगाने वाला वापस इन पन्नों को मेरे अंदर रख देता है। शायद वह भी मुझे जानता है, और मेरे पन्नों को भी।


दरअसल मैं खुद से पड़ी-पड़ी ऐसे ही नहीं फटी हूं। गलत इस्तेमाल करने पर मेरा यह हाल हुआ है। शुरुवात में मुझे किसी व्यक्ति ने एक दुकान से खरीदा था तब में बहुत ही सुंदर व आकर्षक थी। कुछ समय तक उसने मुझे खूब पढ़ा और संभालकर रखा लेकिन कुछ समय पश्चात उसने मुझे बेच दिया।


कई जगहों पर धकें खाने के पश्चात एक दिन में इस पुस्तालय में पहुंची। ओर तब से में यही रखी हुईं हूं। यहां हर किसी वक्त, कोई भी व्यक्ति आता था। मुझे पड़ता था, और ऐसे ही इधर-उधर फेंक कर चला जाता था।


इसलिए धीरे-धीरे मेरा यह हाल होता गया और आज मेरा एक एक पन्ना बाहर आने को उतावला हो रहा है।


मुझे पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को उसके ज्यादा अंक लाने मे मैने मदद की। एक शिक्षक का ज्ञान बढ़ाया ताकि वह अपने विद्यार्थियों को अच्छा व पूर्ण ज्ञान दे सके। शुरुवात में मुझे बहुत संभलकर रखा जाता था लेकिन धीरे धीरे अब मेरी मेरी महत्वता कम होती जा रही है


सबसे ज्यादा गुस्सा तो मुझे तब आया जब किसी एक व्यक्ति ने मुझे पढ़ते पढ़ते अपने काम के लिए मेरा एक पृष्ठ फाड़ लिया।


तब मैं कुछ कर तो सकती नहीं थी, तो सोचा शायद अब मैं उनके काम की नहीं हूं। और तब से धीरे-धीरे मेरी सुंदरता लगातार बिगड़ती जा रही हैं।


अब वापस मुझे इस library के एक कोने में संभालकर रख दिया गया हैं। मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है। कि अब यह मेरे एक एक पृष्ठ को इतना संभालकर क्यों रखना चाहते हैं। जरूर मुझमे कुछ खास होगा।


मेरी कई बहनों ने बताया कि इसी तरह कई बार तो हमारा उपयोग साफ सफाई करने, सूखा खाना खाने के लिए भी कर लिया जाता है।


मैं जानती हूं मैं फट चुकी हूं लेकिन अभी भी मेरा उतना ही महत्व है जितना शुरुआत में था। तब मैं काफी अच्छी व नई थी।


मेरी एक बहन ने तो यह भी कहा कि एक समय पश्चात हमें रद्दी बराबर भी समझा जाता है। सैकड़ों पैसों में खरीदकर हमें चंद पैसों में बेच दिया जाएगा। यह सुनकर मुझे काफ़ी दुःख भी हुआ।


अब में जानती हूं, कुछ समय तक और मुझे संभालकर रखा जाएगा फिर रद्दी के भाव में बेच दिया जाएगा। हा आखरी में यह ज़रूर कहना चाहूंगी की अगर अभी भी मुझे कोई सुधारना चाहें और पढ़ना चाहे तो वह बेशक पढ़ सकता हैं, क्योंकि मेरी महत्वता 1 प्रतिशत भी कम नहीं हुईं हैं। 


तो कुछ इस तरह भी मेरी आत्मकथा। मेरे बनने से लेकर, मेरे अंत तक मुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा और मैं हजारों लोगों की सेवा करती रही हूं।अभी भी में खुश हूं और किसी की मदद करने को उतावली हो रही हूं।


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