२. डिनर
• सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
(१) संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर-वर्षा के आने से ये इस प्रकार बदले:
• नभ काले और दूधिया बादलों से घिरा था |
• जलद में खामोश घमासान मचा हुआ था
• प्रकृति ने चुप्पी साध ली थी ।
• हवा सीली और चिपचिपी हो गई थी ।
(२) ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
1.गरमी और घुटन
२. सड़क
३. नौकरी
४. शास्त्री नगर
उत्तर - 1) उर्मि किस वजह से रिक्शा छोड़कर बाहर आ गई?
2) आवागमन की सुविधा के लिए सरकारें अब गाँव तक क्या बना रहीं हैं ?
3) उर्मि का रिक्शा कहाँ ख़राब हो गया था ?
4) पढ़े-लिखे नवयुवक शहरों में किसलिए जाते हैं?
(३) उत्तर लिखिए
उत्तर- पाठ (डिनर) में प्रयुक्त पात्र :
• उर्मि
• रिक्शावाला
(४) उत्तर लिखिए:
उत्तर- पाठ (डिनर) में प्रयुक्त वाहन मरम्मत के लिए आवश्यक साधनों के नाम:
• पाना
• जैक
• स्टेपनी
• प्लग
5) निम्नलिखित कथनों में से केवल सत्य कथन छाँटकर पून: लिखिए:
1) ऑटो के रुकने से उर्मि खुश थी।
2) आगे की ड्राइविंग सीट पर युवती थी, लगातार बड़बड़ा रही थी ।
3) उर्मि उतरकर ऑटो के इर्द-गिर्द घूमने लगी ।
4) रोशनी होते ही उर्मि ने टेबल देखा तो वह क्रोधित हो गई।
उत्तर- 1) ऑटो के रुकने से उर्मि खुश थी।
6) शब्दयुग्म पूर्ण कीजिए:
काले- दूधिया
डरी- सहमी
इर्द - गिर्द
हाथ- मुंह
अभिव्यक्ति
'घर के कामों में प्रत्येक सदस्य का सहयोग आवश्यक है', इसपर अपने विचार लिखिए |
उत्तर - घर में जितने लोग रहते हैं उन सभी लोगों का कर्तव्य है कि वे घर के कामों में हाथ बँटाएँ । घर चलाना केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं है । घर के प्रत्येक सदस्य यदि घर के काम में सहयोग करें, तो घर आसानी से चलाया जा सकता है | यदि घर में बूढ़े माता-पिता रहते हैं, तो वे बच्चों की जिम्मेदारी उठा सकते हैं | उन्हें अच्छे संस्कार दे सकते हैं | वे परिवार की सामाजिक जिम्मेदारी भी उठा सकते हैं | आज लोगों के पास समय अभाव है | पति-पत्नी दोनों काम करते हैं | उन्हें समाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए समय ही नहीं मिल पाता | इस जिम्मेदारी को घर के बुजुर्ग आराम से उठाएँगे | बुजुर्ग माता-पिता अपने पोते-पोतियों की शिक्षा का भी ध्यान रख सकते हैं | इसलिए यह कहना बिलकुल सही है कि घर के कामों में प्रत्येक सदस्य का सहयोग आवश्यक है
भाषा बिंदु
(1) निम्नलिखित वाक्यों में उचित विरामचिह्न लगाकर वाक्य फिर से लिखिए:
१. हाँ तो पुत्तर कौन-से सेक्टर जाना है बूढ़े की जुबान में पंजाबी लहजा था
उत्तर- "हाँ, तो पुत्तर कौन-से सेक्टर जाना है?" बूढ़े की जुबान में पंजाबी लहजा था |
२. रोहिणी उर्मि डरी-सहमी धीरे से बोली
उत्तर- "रोहिणी!" उर्मि डरी-सहमी धीरे से बोली |
३. ऐसा लगता है पुत्तर आप कहीं काम करती हो
उत्तर- "ऐसा लगता है पुत्तर आप कहीं काम करती हो?"
४. मैं भी क्या-क्या सोचती रहती हूँ उसने इन्हीं ठहाकों के बीच फिर सोचा
उत्तर- 'मैं भी क्या-क्या सोचती रहती हूँ, उसने इन्हीं ठहाकों के बीच फिर सोचा ।
५. उसने सोचा लेकिन धीरे से बुदबुदाई अरे भीतर तो आने दो
उत्तर - उसने सोचा लेकिन धीरे से बुदबुदाई, "अरे भीतर तो आने दो!"
६. जी हाँ जी हाँ बहुत प्यारा बच्चा है मेरे मित्र ने कहा
उत्तर - "जी हाँ, जी हाँ, बहुत प्यारा बच्चा है ।" मेरे मित्र ने
कहा ।
७. संदर्भ लकीर कहानी संग्रह से
उत्तर - संदर्भ : लकीर कहानी संग्रह से ।
८. तुम बोलती क्यों नहीं अंबिका आक्रोश की दृष्टि से उसे देखती है।
उत्तर - "तुम बोलती क्यों नहीं" अंबिका आक्रोश की दृष्टि
से उसे देखती है।
९. मल्लिका क्षण भर चुपचाप उसकी तरफ देखती रहती है क्या हुआ है माँ
उत्तर - मल्लिका क्षण भर चुपचाप उसकी तरफ देखती रहती है । "क्या हुआ है माँ |"
१०. पचासों कहानियाँ पढ़ जाऊँ तो कही एकाध नाम मिलता है नहीं तो लोग यह वह से काम चला लेते हैं
उत्तर- पचासों कहानियाँ पढ़ जाऊँ तो कही एकाध नाम मिलता है; नहीं तो लोग 'यह', 'वह' से काम चला लेते हैं ।
उपयोजित लेखन
मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन कीजिए:
घना जंगल – विशाल और घने वृक्षों पर पंछियों का बसेरा– रोज पंछियों का बच्चों के लिए दाना चुगने उड़ जाना – हर बार जाते समय बच्चों को समझाना – फँसना नहीं, बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा' बच्चों द्वारा इसे केवल रटना – रटते रटते एक दिन पेड़ से नीचे उतरना – दाने देखकर खुश होना - माँ की सीख याद आना – चौकन्ना होना - सावधान होकर उड़ जाना - बहेलिए का पछताना – शीर्षक।
उत्तर -
आज्ञाकारी पक्षी और चतुर बहेलिया
एक घना जंगल था। उस जंगल में बहुत से प्राणी-पक्षी रहते थे। जंगल की हर तरफ सिर्फ वृक्ष ही वृक्ष नजर आते थे। जंगल में हमेशा हरयाली होती थी। इस घने और विशाल वृक्षों पर बहुत से पक्षियों का बसेरा था। हमेशा की तरह सुबह होते ही पक्षी - समूह के बड़े पक्षी बच्चों के लिए दाना चुगने के लिए आसपास के गाँवों की और उड़ जाते थे। जब भी पक्षी-समूह खाना ढूढ़ने के लिए बाहर जाते थे, तो वे अपने बच्चों को बार-बार एक ही बात बताते थे की बहेलिया आएगा, जाल बिछाएगा। उसके जाल में फँसना नहीं। हमेशा चौकन्ना रहना । बच्चे अपने माता -पिता की इस सीख को रटते रहते थे। बड़े पक्षियों के बाहर चले जाने पर बच्चों ने सोचा कि चलो जरा पेड़ के नीचे उतर कर दुनिया की सैर करे।जब पक्षी नीचे उतरे, तो उन्होंने देखा कि वहाँ तो बहुत-से-दाने बिखरे हैं। वे सभी दाने देखकर बहुत खुश हो गए। जब वे दाना चुगने जा रहे थे, तभी उन्हें माँ की सीख याद आ गई। वे तुरंत ही चौकन्ना हो गए और बिना दाना चुगे ही वे अपने समूह के साथ उड़ गए। पक्षियों को उड़ता देखकर बहेलिए पछताने लगा।
शीर्षक: माता-पिता की हर एक सीख का पालन करना चाहिए। उससे हमेशा सफलता ही प्राप्त होती है।
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